ChatGPT एक बड़ा भाषा मॉडल है जो OpenAI द्वारा विकसित किया गया है। यह GPT-3.5 आर्किटेक्चर पर आधारित है और एक AI प्रणाली है जो मैसेजिंग एप्लिकेशन और अन्य डिजिटल इंटरफ़ेस के माध्यम से लोगों के साथ संवाद करती है। ChatGPT के जरिए आप भाषा के माध्यम से अलग-अलग प्रश्नों का उत्तर पा सकते हैं और विभिन्न विषयों पर विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।
QUESTION - ANSWER
Monday, March 27, 2023
Tuesday, August 30, 2016
वृक्कों kidney एवं पित्ताशय gall bladder में पथरी (stones) कैसे बन जाती है ?
शरीर के अंदर ठोस पदार्थों के छोटे-छोटे कणों का संग्रह (stones) कहलाता है। शरीर में निर्मित विशिष्ट द्रव पदार्थ जैसे मूत्र या पित्त में किसी अवयव की अत्याधिक मात्रा पथरी का निर्माण कर देती है। सामान्यत: पथरी दो अंगों में अधिक बनती है - 1. पित्ताशय (gall bladder) में, 2. मूत्राशय (urinary bladder) व वृक्क (kidney) में।
वृक्कों व शेष मूत्र-तंत्र में पथरी बनने के अधिकांश मामलों का कोई भी निश्चित कारण ज्ञात नहीं है, फिर भी गर्म जलवायु में जल का कम सेवन तथा अधिकांश समय बिस्तर पर पड़े रहने के कारण पथरी होने की आशंका बढ़ जाती है। वृक्क या गुर्दे की पथरी जिन्हें तकनीकी भाषा में केलकुलस (calculas) कहा जाता है,70 प्रतिशत मामलों में कैलिश्यम ऑक्जलेट तथा फास्फेट से बनी होती है। हरी पत्तेदार सब्जियों, कॉफ़ी आदि में ऑक्जेलिक अम्ल की अधिक मात्रा होती है। 20 प्रतिशत मामलों में गुर्दे की पथरी कैलिश्यम, मैग्नीशियम व अमोनियम फास्फेट की बनी होती है। यह मूत्र जनन-तंत्र के संक्रमण से जुड़ी होती है।
पित्ताशय की पथरी मुख्यत: कोलेस्ट्रोल की बनी होती है लेकिन इसमें पित्त वर्णक व कैलिश्यम यौगिक जैसे अन्य पदार्थ भी पाए जाते हैं। पित्ताशय की पथरी बनने का मुख्य कारण पित्त के रासायनिक संघटन में बदलाव आ जाना है। अधिक मोटापे के समय यकृत पित्त में अधिक कोलेस्ट्रोल मुक्त करता है, यह पथरी बनने का एक कारण है। दूसरी ओर जब यकृत कोलेस्ट्रोल को विलेय अवस्था में बनाये रखने में सक्षम प्रक्षालक (detergent) पदार्थों को पित्त में कम मात्रा में स्रावित करता है, तब भी पथरी बन जाती है। कभी-कभी जीवाणु (bacteria) भी कोलेस्ट्रोल को ठोसीकृत कर पथरी का निर्माण कर देते हैं।
Friday, April 8, 2016
क्या कारण है कि जोरदार बारिश में कार चलाते समय कार के विंडस्क्रीन की अंदरूनी सतह धुंधली हो जाती है ?
बारिश की बूंदे विंडस्क्रीन पर तेज बरस रही है, इस प्रक्रिया में कांच पर का कुछ पानी भाप बनकर उड़ रहा है, इससे कांच ठंडा होता है कार की अंदर की हवा इस ठंडे कांच से टकरा कर ठंडी हो जाती है और उसमें मौजूद पानी की भाप घनी होकर कांच पर जम जाती है। इससे विंडस्क्रीन धुंधला पड़ जाता है।
Thursday, February 4, 2016
हमें छींक क्यों आती है ?
जब किसी व्यक्ति को छींक आती है, तो हमें लगता है इसे या तो सर्दी-जुकाम है या फिर एलर्जी। लेकिन ऐसा होता नहीं है।
दरअसल छींक शरीर की एक जटिल प्रतिक्रिया होती है। छींक उस समय आती है जब नाक की तंत्रिकाएं नाक की झिल्ली पर सूजन, छोटे-छोटे कण या कोई ऐसा पदार्थ देखती है, जो एलर्जी कर सकते हैं, फलस्वरूप उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं। यही प्रतिक्रिया छींक के रूप में बाहर आती है।
चिकित्सा विज्ञान में छींकने के लिए 'स्टर्नुटेशन' शब्द का उपयोग किया जाता है और यह माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की नाक में 'स्टर्नुटेशन' कारक तत्व जैसे - मिर्च, ठंडी हवा या धूल चली जाए, तो नाक की तंत्रिकाएं दिमाग को इसकी जानकारी देती है। दिमाग गले, छाती और पेट को एक निर्दिष्ट तरीके से अपने को सिकोड़ने को कहता है, जिससे ये तत्व जल्दी शरीर से बाहर निकाले जा सके। जब दिमाग से भेजे गए संदेश का पालन होता है, तब छींक आती है।
दरअसल छींक शरीर की एक जटिल प्रतिक्रिया होती है। छींक उस समय आती है जब नाक की तंत्रिकाएं नाक की झिल्ली पर सूजन, छोटे-छोटे कण या कोई ऐसा पदार्थ देखती है, जो एलर्जी कर सकते हैं, फलस्वरूप उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं। यही प्रतिक्रिया छींक के रूप में बाहर आती है।
चिकित्सा विज्ञान में छींकने के लिए 'स्टर्नुटेशन' शब्द का उपयोग किया जाता है और यह माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की नाक में 'स्टर्नुटेशन' कारक तत्व जैसे - मिर्च, ठंडी हवा या धूल चली जाए, तो नाक की तंत्रिकाएं दिमाग को इसकी जानकारी देती है। दिमाग गले, छाती और पेट को एक निर्दिष्ट तरीके से अपने को सिकोड़ने को कहता है, जिससे ये तत्व जल्दी शरीर से बाहर निकाले जा सके। जब दिमाग से भेजे गए संदेश का पालन होता है, तब छींक आती है।
Tuesday, January 5, 2016
प्रश्न - मेंढक त्वचा से सांस कैसे लेते हैं ?
उत्तर - शीत एवं ग्रीष्म निष्क्रियता में जब मेंढक कीचड़ में रहता है और बाह्य वातावरण की वायु से इसका सीधा संपर्क नहीं रहता है, उस समय त्वचा ही श्वसन का कार्य करती है। जल व भूमि पर रहते समय भी श्वसन में त्वचा का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
त्वचा में महीन रुधिर कोशिकाओं का एक जाल बिछा रहता है। त्वचा की श्लेष्म ग्रन्थियों द्वारा श्लेष्म त्वचा को सदैव नम बनाये रखता है। जल में घुली ऑक्सिज़न श्लेष्म में घुलकर त्वचा में से विसरित होने पर कोशिकाओं में स्थित रुधिर कोशिकाओं के हीमोग्लोबिन द्वारा सोख ली जाती है। साथ ही रुधिर में घुली कार्बन डाई-ऑक्साइड त्वचा में से विसरित होकर बाहर के जल में घुल जाती है। इस प्रकार मेंढक जल में व भूमि पर त्वचा द्वारा श्वसन क्रिया पूरी करता है।
इस श्वसन के अंतर्गत ऑक्सिज़न व कार्बन डाई-ऑक्साइड का लेन-देन गैसों के रूप में न होकर जल में घुलित दशा में होता है।
Monday, December 28, 2015
भोजन करते समय बोलना क्यों नहीं चाहिए ?
उत्तर - भोजन करने के दौरान चबाया हुआ लार में सना भोजन, निवालों के रूप में ग्लाटिस से होते हुए ग्रासनली में पहुंचता है। निवाला निगलते समय अनैच्छिक और प्रतिवर्ती क्रिया के अंतर्गत एपी-ग्लाटिस ग्लाटिस से सट जाता है। परिणामस्वरूप श्वासनली बंद हो जाती है और ग्लाटिस फैलकर निवाले को ग्रासनली में जाने का मार्ग दे देता है। भोजन करते समय बोलने से श्वांस नली में भोजन के कण फंस सकते हैं। इन कणों के द्वारा श्वासनली में उद्दीपन होते ही प्रतिवर्ती क्रिया के अंतर्गत खांसी होने लगती है। भोजन का बड़ा टुकड़ा फंस जाने पर दम भी घुट सकता है।
Monday, December 14, 2015
कपूर हवा के संपर्क में आने पर उड़ क्यों जाता है ?
उत्तर - कपूर हवा के संपर्क में आने पर इसलिए उड़ जाता है , क्योंकि कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो द्रव में बिना बदले सीधे ही गैस में बदल जाते हैं इस घटना को उर्ध्वपातन कहते हैं। इसका कारण वाष्प दाब है। वाष्प दाब बढ़ने के कारण ही कपूर के अणुओं की गतिज उर्जा बढ़ जाती है और ठोस बिना द्रव में बदले सीधे वाष्प में बदल जाते हैं। जैसे - नेफ्थेलिन।
Wednesday, December 2, 2015
ट्रांसफार्मर से बिजली कम या ज्यादा कैसे होती है ?
उत्तर - ट्रांसफार्मर एक ऐसा विद्युत उपकरण है, जो ए सी विद्युत- विभवांतर को कम या अधिक करने के काम आता है। यह विद्युत्-चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। ट्रांसफार्मर में लोहे की पत्तियों से बनी हुई एक कोर होती है। इस कोर पर तांबे या एल्युमिनियम के तारों की दो कुंडलियां लपेटी जाती हैं। जिस कुंडली में विद्युतधारा भेजी जाती है, उसे प्राइमरी कॉइल कहते हैं और जिस कुंडली को विद्युत उपकरण के साथ जोड़ा जाता है, उसे सेकेंडरी कॉइल कहते हैं।
दोनों कुंडलियां में तारों के लपेटनों की संख्या अलग-अलग होती है। जिस ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी कॉइल में लपेटनों की संख्या प्राइमरी कॉइल की अपेक्षा अधिक होती है, वह विद्युत विभवांतर को अधिक कर देता है। ऐसे ट्रांसफार्मर को स्टेप अप ट्रांसफार्मर कहते हैं। वहीं जिस ट्रांसफार्मर में सेकेंडरी कॉइल में लपेटनों की संख्या प्राइमरी कॉइल से कम होती है, वह विद्युत विभवांतर को कम कर देता है। इसे स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कहते हैं। सेकेंडरी और प्राइमरी में तारों की लपेटनों की संख्या का जो अनुपात होगा, विद्युत विभवांतर भी उसी अनुपात में कम या ज्यादा होगा। एक ही ट्रांसफार्मर स्टेप अप और स्टेप डाउन दोनों प्रकार के कार्यों को करने की क्षमता वाला बनाया जा सकता है।
Wednesday, November 25, 2015
प्रश्न - दूध में नीबू की एक बूंद डालने से दूध तुरंत क्यों फट जाता है ?
दूध में लैक्टोबैसिलस नामक जीवाणु (Bacteria) पाये जाते हैं, जो लगातार लैक्टिक अम्ल उत्पन्न करते हैं। जो कि खट्टा होता है, यदि इनकी मात्रा अधिक हो जाती है तो दूध से दुर्गंध आने लगती है और दूध फट जाता है।
यदि हम दूध में नीबू की एक बूंद भी डाल दें तो इसमें सिट्रिक अम्ल की उपस्थिति के कारण खट्टेपन की अधिकता हो जाती है अर्थात लैक्टिक अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है और दूध तुरंत फट जाता है।
यदि हम दूध में नीबू की एक बूंद भी डाल दें तो इसमें सिट्रिक अम्ल की उपस्थिति के कारण खट्टेपन की अधिकता हो जाती है अर्थात लैक्टिक अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है और दूध तुरंत फट जाता है।
Sunday, October 25, 2015
शरीर में किसी स्थान की हड्डी टूट जाने पर उसके ऊपर प्लास्टर चढ़ा दिया जाता है। इस ऊपर लगे प्लास्टर से शरीर के भीतर स्थित हड्डी कैसे जुड़ जाती है ?
उत्तर- किसी स्थान की हड्डी टूट जाने पर प्लास्टर चढ़ाकर उस भाग को कस दिया जाता है। प्लास्टर चढ़ाने का उद्देश्य सिर्फ इतना ही होता है कि हड्डी टूटा वाला अंग कसकर बंध जाये ताकि हड्डी अपने स्थान से हटे नहीं। चोट लगने पर प्लास्टर बांधने से हड्डियां जुड़ती हों ऐसा नहीं है। टूटी हड्डियां प्राय: अपने स्थान से हट जाती है। हड्डी रोग विशेषज्ञ उन्हें सही स्थान में ला देता है क्योंकि जुड़ने से पहले उन्हें सही स्थिति में रखना आवश्यक होता है। प्लास्टर से टूटे भाग की अस्थियां सही अवस्था में बनी रहती हैं। अस्थियां मुख्यत: कैल्शियम की बनी होती हैं तथा कैल्शियम ही उनके जुड़ने में मदद करता है।
Monday, October 12, 2015
बुजुर्ग लोगों की त्वचा पर झुर्रियां क्यों पड़ जाती हैं ?
उत्तर - त्वचा को यदि दो उंगलियों से हल्का सा दबाया जाए और फिर छोड़ दिया जाय तो यह अपनी पूर्वावस्था में आ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि त्वचा के डर्मिस स्तर में प्रोटीन होती है जो इलास्टिक की तरह खींच सकती है। व्यक्ति जैसे-जैसे बुजुर्ग होता है, उनकी त्वचा, प्रोटीन में बदलाव व कमी के कारण कम नम्य (इलास्टिक) होती जाती है अत: त्वचा में झुर्रियां पड़ जाती है।
Saturday, October 10, 2015
किसी निश्चित ताप की गर्म हवा मानव शरीर को जला नहीं पाती है, लेकिन उसी ताप का पानी मनुष्य के शरीर को जला क्यों देता है ?
उत्तर - पानी की अपेक्षा हवा की विशिष्ट ऊष्मा बहुत कम होती है। अत: किसी निश्चित ताप पर हवा के किसी द्रव्यमान में ऊष्मा की मात्रा, उसी ताप पर उसी द्रव्यमान के पानी में ऊष्मा की मात्रा से अधिक होती है। जब मनुष्य इस गर्म हवा के संपर्क में आता है, तब उसके शरीर को उतनी ऊष्मा नहीं मिल पाती है, जिससे कि उसका शरीर जल जाए। दूसरी ओर, उसी ताप के जल के संपर्क में आने पर, उसे अपेक्षाकृत अधिक ऊष्मा मिलती है और शरीर जल जाता है।
वायुमंडल में ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन आदि बहुत सी गैसें हैं, लेकिन हम इनमें से ऑक्सीजन किस तरह से ग्रहण कर लेते हैं ?
उत्तर - वायुमंडल में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि बहुत सारी गैसें होती है। जब हम अपने फेफड़ों के द्वारा सांस लेते हैं तो वायुमंडल में उपस्थित गैसें हमारे फेफड़ों में भर जाती है। इसी समय फेफड़ों की रक्त-नलिकाओं में उपस्थित हिमोग्लोबिन फेफड़ों में उपस्थित ऑक्सीजन से क्रिया करके ऑक्सी हीमोग्लोबिन (oxi-heamoglobin) का निर्माण करती है जो अशुद्ध रक्त को शुद्ध रक्त में परिवर्तित करती है।
फेफड़ों में उपस्थित अन्य गैसें बाहर निकाल दी जाती हैं। इस प्रकार वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि गैसों में से केवल ऑक्सीजन ही ग्रहण करते हैं।
फेफड़ों में उपस्थित अन्य गैसें बाहर निकाल दी जाती हैं। इस प्रकार वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि गैसों में से केवल ऑक्सीजन ही ग्रहण करते हैं।
Tuesday, September 15, 2015
व्यक्ति चाहे कितना ही काला क्यों न हो उसकी हथेलियां और तलवे अपेक्षाकृत सफेद क्यों होते हैं?
उत्तर - हमारी त्वचा का रंग एक गहरे भूरे रंजक द्रव्य 'मेलानिन' के कारण होता है। जिसका निर्माण त्वचा की ' मेलनोसाइट' नामक कोशिकाएं करती हैं। मेलानोसाइट ही कोशिकाओं को मेलानिन उत्पन्न करने के लिए प्रेरित करती हैं, जिसके कारण हमारी त्वचा का रंग काला होता है। हमारी हथेलियों एवं तलवों में मेलानोसाइट कोशिकाएं काफी कम होती हैं, जिसके कारण वहां मेलानिन पैदा नहीं होती और हमारी हथेलियां और तलवे हमारी त्वचा की तुलना में अपेक्षाकृत धवल होते हैं। उल्लेखनीय है कि मेलानिन की मात्रा अलग-अलग लोगों में अलग-अलग होती है, जबकि हथेलियों एवं तलवों में लगभग सभी व्यक्तियों में इसकी मात्रा एक समान (नगण्य) होती है।
Sunday, September 13, 2015
प्रश्न - जब किसी आदमी की याददाश्त खो जाती है तो उसे अपनी भाषा कैसे याद रहती है ?
उत्तर - मनोवैज्ञानिकों के अनुसार हमारा मस्तिष्क चेतन अवस्था में ही कार्य नहीं करता,बल्कि अवचेतन अवस्था में भी कार्य करता है। हमारी याददाश्त खो जाने पर मस्तिष्क सिर्फ वे बातें भूल जाता है, जो मस्तिष्क की चेतनावस्था में होती हैं, जैसे अपना नाम, अपना घर, कार्यस्थल इत्यादि। लेकिन उसे वे सब बातें ध्यान रहती हैं जो कि अवचेतन मस्तिष्क में मौजूद होती हैं, जैसे अपनी भाषा, पढ़ने-लिखने की क्षमता आदि। इसीलिए अपनी याददाश्त खो जाने पर भी आदमी को अपनी भाषा याद रहती है।
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