उत्तर - हमारे मुंह में लार पैदा करने वाली ग्रंथियों के तीन जोड़े हैं, जो अनवरत रुप से लार पैदा करते रहते हैं। इन तीनों जोड़ों में पेरोटिड ग्रंथियों का जोड़ा सबसे बड़ा है। यह जोड़ा कान और जबड़े की हड्डियों के बीच में मुंह के दोनों ओर स्थित है। दूसरा जोड़ा सबमेंडीबूलर ग्रंथियों का है। यह अंडे के आकार का होता है और जबड़े की हड्डी के अग्रभाग के नीचे स्थित है। तीसरा जोड़ा सबलिंगुअल ग्रंथियों का है। यह बादाम के आकार का होता है। यह जोड़ा जीभ और जबड़े की हड्डियों के बीच स्थित है। इनके अतिरिक्त कुछ लार ग्रन्थियाँ हमारे लारों में भी होती हैं, इन्हें बकुल ग्रन्थियाँ कहते हैं। हमारी लार में 98 प्रतिशत पानी और कुछ एंजाइम होते हैं।
लार का मुख्य काम मुंह की झिल्ली और जीभ को गीला रखना है, ताकि हमें बोलने में असुविधा न हो। लार में उपस्थित एमाइलेज नाम का एंजाइम भोजन में उपस्थित कार्बोहाइद्रेड को चीनी में बदल देता है।
अगर लार हमारे मुंह में न होती तो हमारा भोजन गीला नहीं हो पाता और उसे हम निगल नहीं पाते। लार ही भोज्य पदार्थों को घोलने का काम करती है, जिससे स्वाद ग्रंथियां उत्तेजित होकर हमें भोजन का स्वाद बताती हैं।
लार का मुख्य काम मुंह की झिल्ली और जीभ को गीला रखना है, ताकि हमें बोलने में असुविधा न हो। लार में उपस्थित एमाइलेज नाम का एंजाइम भोजन में उपस्थित कार्बोहाइद्रेड को चीनी में बदल देता है।
अगर लार हमारे मुंह में न होती तो हमारा भोजन गीला नहीं हो पाता और उसे हम निगल नहीं पाते। लार ही भोज्य पदार्थों को घोलने का काम करती है, जिससे स्वाद ग्रंथियां उत्तेजित होकर हमें भोजन का स्वाद बताती हैं।