विज्ञान प्रश्न :-
प्राणियों में श्वसन के लिए ऑक्सीजन ही क्यों आवश्यक है ?
सूक्ष्म तथा निम्न कोटि के जीवों में बिना ऑक्सीजन के ही ग्लूकोज का लैक्टिक अम्ल एवं एथिल एल्कोहल में विघटन हो जाता है। इससे प्राप्त हुई ऊर्जा का उपभोग जीव करते हैं।
बड़े जीवों में ऐसा संभव नहीं होता है क्योंकि उनकी कोशाओं में ऊर्जा प्राप्ति के लिए ऑक्सीकरण क्रिया द्वारा ग्लूकोज का कार्बन डाईऑक्साइड एवं जल में विघटन होता है। चूँकि ऑक्सीकरण क्रिया में ऑक्सीजन का काम होता है, इसलिए श्वसन में ऑक्सीजन की उपस्थिति अनिवार्य है।
बड़े जीवों में ऐसा संभव नहीं होता है क्योंकि उनकी कोशाओं में ऊर्जा प्राप्ति के लिए ऑक्सीकरण क्रिया द्वारा ग्लूकोज का कार्बन डाईऑक्साइड एवं जल में विघटन होता है। चूँकि ऑक्सीकरण क्रिया में ऑक्सीजन का काम होता है, इसलिए श्वसन में ऑक्सीजन की उपस्थिति अनिवार्य है।
---------------------------------------------------------------------------------
कुछ जानवरों की आँखें रात में क्यों चमकती हैं ?
जिन जानवरों की आँखें रात में चमकते हैं, उनके आँखों में रक्तपटल (Choroid) में दृष्टि पटल (Retina) के ठीक बाहर की ओर सिल्वर के समान चमकते हुए संयोगी ऊत्तक अथवा अन्य रंगीन पदार्थ के कणों की एक विशेष पतली पर्त होती है जिसे टेपीटम लूसीडम कहते हैं। यह पर्त परावर्ती (Reflecting) होने के कारण इस पर पड़ता है तो परावर्तित हो जाता है जिसके कारण से इन जानवरों की आँखें चमकती हैं एवं इन्हें कम रोशनी में भी दिखाई पड़ता है।
---------------------------------------------------------------------------------
करेंट लगने से मनुष्य की मृत्यु क्यों हो जाती है ?
हम जानते हैं कि मनुष्य का शरीर विद्युत सुचालक होता है। विद्युत सुचालक तथा सजीव होने के कारण मनुष्य के शरीर में (निश्चित गति) से इलेक्ट्रानों का प्रवाह होता है। जब मनुष्य को करेंट लगता है तो इन इलेक्ट्रानों की गति तीव्र हो जाती है और मनुष्य का तंत्रिका तंत्र कार्य करना बन्द कर देता है जिससे जैविक क्रियाएं ठप हो जाती है और मनुष्य की मृत्यु हो जाती है।
---------------------------------------------------------------------------------
करेंट लगने से मनुष्य की मृत्यु क्यों हो जाती है ?
हम जानते हैं कि मनुष्य का शरीर विद्युत सुचालक होता है। विद्युत सुचालक तथा सजीव होने के कारण मनुष्य के शरीर में (निश्चित गति) से इलेक्ट्रानों का प्रवाह होता है। जब मनुष्य को करेंट लगता है तो इन इलेक्ट्रानों की गति तीव्र हो जाती है और मनुष्य का तंत्रिका तंत्र कार्य करना बन्द कर देता है जिससे जैविक क्रियाएं ठप हो जाती है और मनुष्य की मृत्यु हो जाती है।
---------------------------------------------------------------------------------
अंडा उबालने पर ठोस क्यों हो जाता है ?
अंडे की जर्दी में वसा अधिक मात्रा में पायी जाती है, जो गर्म होने पर भी नर्म बनी रहती है। अंडे का आंतरिक भाग एल्ब्युमिन नामक प्रोटीन का बना होता है। यह प्रोटीन पानी में घुलनशील है। थोड़ा गर्म करने से यह थक्काकरण की क्रिया से जम जाता है। कुछ और अधिक ऊंचे ताप एल्ब्युमिन, रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप, विखंडित होकर ठोस रूप धारण कर लेता है। यही कारण है कि अंडा गर्म करने पर ठोस रूप धारण कर लेता है।
------------------------------------------------------------------------
No comments:
Post a Comment