Monday, December 28, 2015

भोजन करते समय बोलना क्यों नहीं चाहिए ?


                            उत्तर - भोजन करने के दौरान चबाया हुआ लार में सना भोजन, निवालों के रूप में ग्लाटिस से होते हुए ग्रासनली में पहुंचता है। निवाला निगलते समय अनैच्छिक और प्रतिवर्ती क्रिया के अंतर्गत एपी-ग्लाटिस ग्लाटिस से सट जाता है। परिणामस्वरूप श्वासनली बंद हो जाती है और ग्लाटिस फैलकर निवाले को ग्रासनली में जाने का मार्ग दे देता है। भोजन करते समय बोलने से श्वांस नली में भोजन के कण फंस सकते हैं। इन कणों के द्वारा श्वासनली में उद्दीपन होते ही प्रतिवर्ती क्रिया के अंतर्गत खांसी होने लगती है। भोजन का बड़ा टुकड़ा फंस जाने पर दम भी घुट सकता है।

Monday, December 14, 2015

कपूर हवा के संपर्क में आने पर उड़ क्यों जाता है ?


उत्तर - कपूर हवा के संपर्क में आने पर इसलिए उड़ जाता है , क्योंकि कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो द्रव में बिना बदले सीधे ही गैस में बदल जाते हैं इस घटना को उर्ध्वपातन कहते हैं। इसका कारण वाष्प दाब है। वाष्प दाब बढ़ने के कारण ही कपूर के अणुओं की गतिज उर्जा बढ़ जाती है और ठोस बिना द्रव में बदले सीधे वाष्प में बदल जाते हैं। जैसे - नेफ्थेलिन।

Wednesday, December 2, 2015

ट्रांसफार्मर से बिजली कम या ज्यादा कैसे होती है ?



                         उत्तर - ट्रांसफार्मर एक ऐसा विद्युत उपकरण है, जो ए सी विद्युत- विभवांतर को कम या अधिक करने के काम आता है। यह विद्युत्-चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। ट्रांसफार्मर में लोहे की पत्तियों से बनी हुई एक कोर होती है। इस कोर पर तांबे या एल्युमिनियम के तारों की दो कुंडलियां लपेटी जाती हैं। जिस कुंडली में विद्युतधारा भेजी जाती है, उसे प्राइमरी कॉइल कहते हैं और जिस कुंडली को विद्युत उपकरण के साथ जोड़ा जाता है, उसे सेकेंडरी कॉइल कहते हैं।
                           दोनों कुंडलियां में तारों के लपेटनों की संख्या अलग-अलग होती है। जिस ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी कॉइल में लपेटनों की संख्या प्राइमरी कॉइल की अपेक्षा अधिक होती है, वह विद्युत विभवांतर को अधिक कर देता है। ऐसे ट्रांसफार्मर को स्टेप अप ट्रांसफार्मर कहते हैं। वहीं जिस ट्रांसफार्मर में सेकेंडरी कॉइल में लपेटनों की संख्या प्राइमरी कॉइल से कम होती है, वह विद्युत विभवांतर को कम कर देता है। इसे स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कहते हैं। सेकेंडरी और प्राइमरी में तारों की लपेटनों की संख्या का जो अनुपात होगा, विद्युत विभवांतर भी उसी अनुपात में कम या ज्यादा होगा। एक ही ट्रांसफार्मर स्टेप अप और स्टेप डाउन दोनों प्रकार के कार्यों को करने की क्षमता वाला बनाया जा सकता है।

Wednesday, November 25, 2015

प्रश्न - दूध में नीबू की एक बूंद डालने से दूध तुरंत क्यों फट जाता है ?



                      दूध में लैक्टोबैसिलस नामक जीवाणु (Bacteria) पाये जाते हैं, जो लगातार लैक्टिक अम्ल उत्पन्न करते हैं। जो कि खट्टा होता है, यदि इनकी मात्रा अधिक हो जाती है तो दूध से दुर्गंध आने लगती है और दूध फट जाता है।
                     यदि हम दूध में नीबू की एक बूंद भी डाल दें तो इसमें सिट्रिक अम्ल की उपस्थिति के कारण खट्टेपन की अधिकता हो जाती है अर्थात लैक्टिक अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है और दूध तुरंत फट जाता है।

Sunday, October 25, 2015

शरीर में किसी स्थान की हड्डी टूट जाने पर उसके ऊपर प्लास्टर चढ़ा दिया जाता है। इस ऊपर लगे प्लास्टर से शरीर के भीतर स्थित हड्डी कैसे जुड़ जाती है ?




                             उत्तर- किसी स्थान की हड्डी टूट जाने पर प्लास्टर चढ़ाकर उस भाग को कस दिया जाता है। प्लास्टर चढ़ाने का उद्देश्य सिर्फ इतना ही होता है कि हड्डी टूटा वाला अंग कसकर बंध जाये ताकि हड्डी अपने स्थान से हटे नहीं। चोट लगने पर प्लास्टर बांधने से हड्डियां जुड़ती हों ऐसा नहीं है। टूटी हड्डियां प्राय: अपने स्थान से हट जाती है। हड्डी रोग विशेषज्ञ उन्हें सही स्थान में ला देता है क्योंकि जुड़ने से पहले उन्हें सही स्थिति में रखना आवश्यक होता है। प्लास्टर से टूटे भाग की अस्थियां सही अवस्था में बनी रहती हैं। अस्थियां मुख्यत: कैल्शियम की बनी होती हैं तथा कैल्शियम ही उनके जुड़ने में मदद करता है।

Monday, October 12, 2015

बुजुर्ग लोगों की त्वचा पर झुर्रियां क्यों पड़ जाती हैं ?


                    उत्तर - त्वचा को यदि दो उंगलियों से हल्का सा दबाया जाए और फिर छोड़ दिया जाय तो यह अपनी पूर्वावस्था में आ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि त्वचा के डर्मिस स्तर में प्रोटीन होती है जो इलास्टिक की तरह खींच सकती है। व्यक्ति जैसे-जैसे बुजुर्ग होता है, उनकी त्वचा, प्रोटीन में बदलाव व कमी के कारण कम नम्य (इलास्टिक) होती जाती है अत: त्वचा में झुर्रियां पड़ जाती है।

Saturday, October 10, 2015

किसी निश्चित ताप की गर्म हवा मानव शरीर को जला नहीं पाती है, लेकिन उसी ताप का पानी मनुष्य के शरीर को जला क्यों देता है ?


                                    उत्तर - पानी की अपेक्षा हवा की विशिष्ट ऊष्मा बहुत कम होती है। अत: किसी निश्चित ताप पर हवा के किसी द्रव्यमान में ऊष्मा की मात्रा, उसी ताप पर उसी द्रव्यमान के पानी में ऊष्मा की मात्रा से अधिक होती है। जब मनुष्य इस गर्म हवा के संपर्क में आता है, तब उसके शरीर को उतनी ऊष्मा नहीं मिल पाती है, जिससे कि उसका शरीर जल जाए। दूसरी ओर, उसी ताप के जल के संपर्क में आने पर, उसे अपेक्षाकृत अधिक ऊष्मा मिलती है और शरीर जल जाता है।

वायुमंडल में ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन आदि बहुत सी गैसें हैं, लेकिन हम इनमें से ऑक्सीजन किस तरह से ग्रहण कर लेते हैं ?



                 उत्तर - वायुमंडल में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि बहुत सारी गैसें होती है। जब हम अपने फेफड़ों के द्वारा सांस लेते हैं तो वायुमंडल में उपस्थित गैसें हमारे फेफड़ों में भर जाती है। इसी समय फेफड़ों की रक्त-नलिकाओं में उपस्थित हिमोग्लोबिन फेफड़ों में उपस्थित ऑक्सीजन से क्रिया करके ऑक्सी हीमोग्लोबिन (oxi-heamoglobin) का निर्माण करती है जो अशुद्ध रक्त को शुद्ध रक्त में परिवर्तित करती है।
फेफड़ों में उपस्थित अन्य गैसें बाहर निकाल दी जाती हैं। इस प्रकार वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि गैसों में से केवल ऑक्सीजन ही ग्रहण करते हैं।

Tuesday, September 15, 2015

व्यक्ति चाहे कितना ही काला क्यों न हो उसकी हथेलियां और तलवे अपेक्षाकृत सफेद क्यों होते हैं?


                              उत्तर - हमारी त्वचा का रंग एक गहरे भूरे रंजक द्रव्य 'मेलानिन' के कारण होता है। जिसका निर्माण त्वचा की ' मेलनोसाइट' नामक कोशिकाएं करती हैं। मेलानोसाइट ही कोशिकाओं को मेलानिन उत्पन्न करने के लिए प्रेरित करती हैं, जिसके कारण हमारी त्वचा का रंग काला होता है। हमारी हथेलियों एवं तलवों में मेलानोसाइट कोशिकाएं काफी कम होती हैं, जिसके कारण वहां मेलानिन पैदा नहीं होती और हमारी हथेलियां और तलवे हमारी त्वचा की तुलना में अपेक्षाकृत धवल होते हैं। उल्लेखनीय है कि मेलानिन की मात्रा अलग-अलग लोगों में अलग-अलग होती है, जबकि हथेलियों एवं तलवों में लगभग सभी व्यक्तियों में इसकी मात्रा एक समान (नगण्य) होती है।

Sunday, September 13, 2015

प्रश्न - जब किसी आदमी की याददाश्त खो जाती है तो उसे अपनी भाषा कैसे याद रहती है ?



             उत्तर - मनोवैज्ञानिकों के अनुसार हमारा मस्तिष्क चेतन अवस्था में ही कार्य नहीं करता,बल्कि अवचेतन अवस्था में भी कार्य करता है। हमारी याददाश्त खो जाने पर मस्तिष्क सिर्फ वे बातें भूल जाता है, जो मस्तिष्क की चेतनावस्था में होती हैं, जैसे अपना नाम, अपना घर, कार्यस्थल इत्यादि। लेकिन उसे वे सब बातें ध्यान रहती हैं जो कि अवचेतन मस्तिष्क में मौजूद होती हैं, जैसे अपनी भाषा, पढ़ने-लिखने की क्षमता आदि। इसीलिए अपनी याददाश्त खो जाने पर भी आदमी को अपनी भाषा याद रहती है।

Saturday, August 22, 2015

हमारे वृक्कों एवं पित्ताशय में पथरी (stones) कैसे बन जाती है ?


                                      शरीर के अंदर ठोस पदार्थों के छोटे-छोटे कठोर कणों का संग्रह पथरी (stones) कहलाता है। शरीर में निर्मित विशिष्ट द्रव पदार्थ जैसे मूत्र या पित्त में किसी अवयव की अत्याधिक मात्रा पथरी का निर्माण कर देती है। सामान्यत: पथरी दो अंगों में अधिक बनती है - 1. पित्ताशय (Gall bladder) में, 2. मूत्राशय (Urinary bladder) व वृक्क (Kidney) में।
                                     वृक्कों व शेष मूत्र-तंत्र में पथरी बनने के अधिकांश मामलों का कोई भी निश्चित कारण ज्ञात नहीं है, फिर भी गर्म जलवायु में जल का कम सेवन तथा अधिकांश समय बिस्तर पर पड़े रहने को इसके लिए कुछ उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। वृक्क या गुर्दे की पथरी जिन्हें तकनीकी भाषा में केलकुलस (calculus) कहा जाता है, 70 फीसदी मामलों में कैल्शियम ऑक्जलेट तथा फास्फेट से बनी होती है। हरी पत्तेदार सब्जियों, कॉफ़ी आदि में ऑक्जेलिक अम्ल की अधिक मात्रा होती है। 20 प्रतिशत मामलों में गुर्दे की पथरी कैल्शियम, मैग्नीशियम व अमोनियम फास्फेट की बनी होती है। यह मूत्र जनन-तंत्र के संक्रमण से जुड़ी होती है।
                                      पित्ताशय की पथरी मुख्यत: कोलेस्ट्राल की बनी होती है लेकिन इसमें पित्त वर्णक व कैल्शियम यौगिक जैसे अन्य पदार्थ भी पाए जा सकते हैं। पित्ताशय की पथरी बनने का प्रमुख कारण पित्त के रासायनिक संघटन में बदलाव आ जाना है। अधिक मोटापे के समय यकृत पित्त में अधिक कोलेस्ट्राल मुक्त करता है, यह पथरी बनने का एक कारण है। दूसरी ओर जब यकृत कोलेस्ट्राल को विलेय अवस्था में बनाए रखने में सक्षम प्रक्षालक (detergent) पदार्थों को पित्त में कम मात्रा में स्रावित करता है, तब भी पथरी बन जाती है। कभी-कभी जीवाणु (bacteria) भी कोलेस्ट्राल को ठोसीकृत कर पथरी निर्माण कर देते हैं।




Saturday, August 15, 2015

प्राणियों में श्वसन के लिए ऑक्सीजन ही क्यों आवश्यक है ?


                            सूक्ष्म तथा निम्न कोटि के जीवों में बिना ऑक्सीजन के ही ग्लूकोज का लैक्टिक अम्ल एवं एथिल एल्कोहल में विघटन हो जाता है। इससे प्राप्त हुई ऊर्जा का उपभोग जीव करते हैं।
                            बड़े जीवों में ऐसा संभव नहीं होता है क्योंकि उनकी कोशाओं में ऊर्जा प्राप्ति के लिए ऑक्सीकरण क्रिया द्वारा ग्लूकोज का कार्बन डाईऑक्साइड एवं जल में विघटन होता है। चूँकि ऑक्सीकरण क्रिया में ऑक्सीजन का काम होता है, इसलिए श्वसन में ऑक्सीजन की उपस्थिति अनिवार्य है।

Tuesday, August 4, 2015

रेगिस्तान में कुछ दूरी पर जल होने का भ्रम क्यों होता है ?


                               रेगिस्तान में जल होने का भ्रम पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण होता है। जब सूर्य की गर्मी से रेगिस्तान की रेत गर्म होती है तो उसके संपर्क में आने वाली वायु भी गर्म हो जाती है, परंतु इस वायु के ऊपर का तापमान क्रमश: कम होता जाता है। अत: वायु के नीचे की परतें अपेक्षाकृत विरल होती हैं और जब प्रकाश की किरणें पृथ्वी की ओर आती है तो इन्हें विरल परतों से होकर गुजरना पड़ता है, और प्रत्येक परत पर अपवर्तित किरण अभिलम्ब से दूर हटती जाती है। अत: प्रत्येक अगली परत पर आपतन कोण बढ़ता जाता है तथा किसी विशेष परत पर क्रांतिक कोण से बड़ा हो जाता है। तब इस परत पर किरण पूर्ण परावर्तित होकर ऊपर की ओर चलने लगती है। ऊपरी परतों के सघन होने के कारण ऊपर बढ़ने वाली किरणें अभिलम्ब की ओर झुकती जाती हैं। जब यह                                  रेगिस्तान के यात्री की आँख में प्रवेश करती है, तो उसे पृथ्वी के नीचे से आती हुई प्रतीत होती है तथा यात्री को पेड़ का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखायी देता है। इसी से रेगिस्तान में जल होने का भ्रम हो जाता है।

Monday, July 20, 2015

जीवित व्यक्ति पानी में डूब जाता है, जबकि मृतक व्यक्ति का शव पानी पर तैरता है। ऐसा क्यों ?


उत्तर - आर्कमिडीज के सिद्धांत के अनुसार जब किसी ठोस को किसी द्रव में डुबाते हैं, तो उसके भार में एक प्रत्यक्ष कमी आ जाती है। यह कमी ठोस द्वारा हटाये गए द्रव के भार के बराबर होती है। यदि वस्तु द्वारा हटाये गए द्रव का भार, वस्तु के भार के बराबर होता है, तो वस्तु द्रव में तैरती है। हटाए गए द्रव का भार, वस्तु के भार से कम होने पर, वस्तु पानी में डूब जाती है। इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है, यदि ठोस का घनत्व द्रव के घनत्व से कम है, तो ठोस द्रव में तैरेगा।


Tuesday, July 7, 2015

चोट लगने पर सूजन क्यों आ जाती है ?


                                    चोट लगने पर चोट वाले स्थान पर प्रतिरक्षी क्रियाएँ तेजी से होने लगती हैं और उस स्थान पर लसिका (Lymph) के इकट्ठा होने के कारण उस स्थान पर सूजन आ जाती है। प्रतीरक्षियों के कारण वह स्थान लाल हो जाता है तथा वहां खुजली भी होने लगती है।

Sunday, July 5, 2015

अंडा उबालने पर ठोस क्यों हो जाता है ?


                                   अंडे की जर्दी में वसा अधिक मात्रा में पायी जाती है, जो गर्म होने पर भी नर्म बनी रहती है। अंडे का आंतरिक भाग एल्ब्युमिन नामक प्रोटीन का बना होता है। यह प्रोटीन पानी में घुलनशील है। थोड़ा गर्म करने से यह थक्काकरण की क्रिया से जम जाता है। कुछ और अधिक ऊंचे ताप एल्ब्युमिन, रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप, विखंडित होकर ठोस रूप धारण कर लेता है। यही कारण है कि अंडा गर्म करने पर ठोस रूप धारण कर लेता है।

Sunday, June 28, 2015

लोग गंजे क्यों होते हैं ?


उत्तर -  
मनुष्य में गंजापन विकिरण तथा थायरॉयड ग्रन्थि की अनियमितताओं के कारण भी हो सकता है और आनुवांशिक भी। आनुवांशिक गंजापन एक ऑटोसोमल एलील जीन जोड़ी (Bb) पर निर्भर करता है। होमोजाइगस प्रबल जीन रूप (BB) होने पर गंजापन पुरुषों तथा स्त्रियों दोनों में विकसित होता है लेकिन हिटरोजाइगस (Bb) होने पर ये स्त्रियों में न होकर केवल पुरुषों में विकसित होता है।

Thursday, June 25, 2015

पशुओं के बाल उम्र बढ़ने पर सफेद क्यों नहीं होते ?


                               बालों के काले रंग के लिए मुख्यत: मिलेनिन नामक पदार्थ उत्तरदायी होता है। पशुओं में मिलेनिन और इसे उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं की मात्रा काफी अधिक होती है। अत: पशुओं में बाल जन्म के समय वाले ही रंग के बने रहते हैं। मिलेनिन की अधिक मात्रा ही बालों को सफेद होने से रोकती है।

Tuesday, June 23, 2015

करेंट लगने से मनुष्य की मृत्यु क्यों हो जाती है ?


हम जानते हैं कि मनुष्य का शरीर विद्युत सुचालक होता है। विद्युत सुचालक तथा सजीव होने के कारण मनुष्य के शरीर में (निश्चित गति) से इलेक्ट्रानों का प्रवाह होता है। जब मनुष्य को करेंट लगता है तो इन इलेक्ट्रानों की गति तीव्र हो जाती है और मनुष्य का तंत्रिका तंत्र कार्य करना बन्द कर देता है जिससे जैविक क्रियाएं ठप हो जाती है और मनुष्य की मृत्यु हो जाती है।

Tuesday, June 16, 2015

वायुमंडल में ताप संतुलन (Heat Balance of the Atmosphere) क्या है ?


                      पृथ्वी को अधिकांश ऊष्मा (Heat) सूर्य से विकीर्ण ताप द्वारा प्राप्त होती है। सूर्य से विकीर्ण ताप लघु तरंगों ( Short Waves) द्वारा पृथ्वी को प्राप्त होता है। वायुमंडल सूर्य से विकीर्ण ऊर्जा (Energy) का केवल 14 प्रतिशत प्रत्यक्ष रूप में प्राप्त करता है। वायुमंडल को अधिकांश ताप की प्राप्ति (अप्रत्यक्ष रूप से), पृथ्वी से विकीर्ण ऊर्जा द्वारा प्राप्त होती है, जो कि दीर्घ तरंगों (Long Waves) के रूप में होती है। इस प्रकार पृथ्वी एवं वायुमंडल निरंतर सूर्य से ऊष्मा प्राप्त करते हैं। लेकिन यह उल्लेखनीय है कि फिर भी पृथ्वी तथा वायुमंडल का ऊष्मा भंडार बढ़ता या घटता नहीं, बल्कि सदैव संतुलित रहता है कि इसका तात्पर्य है कि पृथ्वी तथा वायुमंडल जितना ताप प्राप्त करते हैं, उतना ही शून्य में लौट जाता है।

Tuesday, June 9, 2015

कुछ जानवरों की आँखें रात में क्यों चमकती हैं ?

                                     
                                   जिन जानवरों की आँखें रात में चमकते हैं, उनके आँखों में रक्तपटल (Choroid) में दृष्टि पटल (Retina) के ठीक बाहर की ओर सिल्वर के समान चमकते हुए संयोगी ऊत्तक अथवा अन्य रंगीन पदार्थ के कणों की एक विशेष पतली पर्त होती है जिसे टेपीटम लूसीडम कहते हैं। यह पर्त परावर्ती (Reflecting) होने के कारण इस पर पड़ता है तो परावर्तित हो जाता है जिसके कारण से इन जानवरों की आँखें चमकती हैं एवं इन्हें कम रोशनी में भी दिखाई पड़ता है।

Tuesday, May 26, 2015

तारों की आभासी गति का क्या कारण है ?


                              यदि हम आसमान में तारों को अधिक समय तक देखें तो हम पाते हैं कि तारे पूर्व में उदय होकर वृत्तीय पथ पर चलते हुए पश्चिम में अस्त हो जाते हैं जबकि वास्तव में वे आकाश में स्थिर होते हैं। इस गति में उनकी सापेक्षिक स्थितियां नहीं बदलती है। इससे ऐसा लगता है कि तारे पृथ्वी के परित: परिक्रमा कर रहे हैं अथवा खगोलीय गोला पृथ्वी के परित: घूर्णन कर रहा है। आसमान में पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हुए प्रतीत होते हैं। ध्रुव तारा पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के सीधे ऊपर स्थित होता है, अत: यह पृथ्वी की घूर्णन अक्ष की सीध में होता है जिसके कारण वह आसमान में स्थिर दिखाई देता है।

Wednesday, May 13, 2015

पेट के रोगी का एक्स-रे चित्र लेने से पहले उसे बेरियम सल्फेट का घोल क्यों पिलाया जाता है ?


                    असल में एक्स-रे किरणें शरीर के उन्हीं भागों को दर्शाती हैं जिनमें से होकर वे गुजर नहीं सकती। जैसे कि हड्डियाँ। अत: किसी रोगी की आँतों से संबंधित कोई रोग हो जैसे अल्सर,हर्निया या फिर ट्यूमर तो साधारण एक्स-रे मात्र से ये सब धुंधली नजर आएगी। इस तरह के धुंधलेपन को दूर करने के लिए रोगी की एक्स-रे से पहले बेरियम युक्त आहार दिया जाता है। बेरियम आहार में बेरियम सल्फेट की सफेद चाक जैसे पदार्थ की एक खुराक होती है। जो एक्स-रे को रोकने का सामर्थ्य रखती है। इस तरह से यह बेरियम सल्फेट डाक्टरों को आहार नलिका का सही व सूक्ष्म निरिक्षण करने में मददगार सिद्ध होती है।

Saturday, May 2, 2015

पृथ्वी का निर्माण किस प्रकार हुआ ?


                                पृथ्वी उत्पत्ति ग्रहाणुओं के एक ठंडे समूह से हुई। ये ग्रहाणुओं आंतरिक ग्रहों के क्षेत्र में मुख्यत: सिलिकन, लोहा, मैग्नीशियम के यौगिकों के साथ सूक्ष्म मात्रा में अन्य तत्वों के मिलने से बने थे। जैसे-जैसे और अधिक ग्रहाणु पृथ्वी से टकराते गये वैसे-वैसे वे इससे जुड़ते गये। इन ग्रहाणुओं की गतिज ऊर्जा टक्करों के कारण उष्मीय ऊर्जा में बदलती गई। इससे इसका ताप भी बढ़ता गया। इसके अतिरिक्त पृथ्वी के संपीडन एवं रेडियोएक्टिव विघटन के कारण यह ग्रह और गर्म होता रहा तथा अपनी उत्पत्ति के लगभग 80 करोड़ वर्ष बाद पिघल गया। इस ग्रह ने गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव की सहायता से सहायता से स्वयं को व्यवस्थित करना प्रारंभ कर दिया। लोहा पिघलकर इसके केंद्र की ओर गिरने लगा तथा हल्के पदार्थ पृथ्वी के सतह पर आ गये। इससे भूपर्पटी का निर्माण हुआ। गुरुत्वाकर्षण के कारण केंद्र में पहुंचे लोहे से क्रोड का निर्माण हुआ। बीच का भाग प्रवार बना। विभेदन के फलस्वरूप वायुमंडल, सागर, महासागरों तथा  महाद्वीपों का निर्माण हुआ। इस प्रकार पृथ्वी की उत्पत्ति हुई।

Thursday, April 23, 2015

कैरेट से क्या तात्पर्य है ?

कैरेट सिस्टम को किसी भी ज्वैलरी या सोने के आभूषण में मौजूद शुद्ध सोने की मात्रा जानने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे शब्दों में एलॉय में मौजूद सोने के हिस्से के आकलन की इकाई को कैरेट कहा जाता है।
24 कैरेट सोने को शुद्ध सोना माना जाता है। यदि सोना 18 कैरेट का है इसका मतलब है कि इसमें 18 हिस्सा सोना है और छह हिस्सा दूसरे मेटल का। यानि 75 प्रतिशत शुद्ध सोने वाली ज्वैलरी को 18 कैरेट माना जाता है। इसी तरह 22 कैरेट का मतलब हुआ इसमें 22 भाग सोना है और दो भाग मेटल।

Monday, April 13, 2015

हमें भूख की अनुभूति क्यों होती है ?


                               विभिन्न दैहिक क्रियाओं के सुचारू रूप से संचालन के लिए होने वाली भूख की अनुभूति आहारनाल के क्रमाकुंचन एवं संकुचन के कारण होती है। माइक्रोविलाई की सतह पर उपस्थित संग्राहकों (Receptors) के द्वारा यह संवेद मस्तिष्क में पहुंचता है, जो कि रक्त में ग्लूकोज की कमी तथा तापमान में गिरावट, आमाशय में संकुचन आदि। इन्हीं कारणों से हमें भूख की अनुभूति होती है।

Thursday, April 9, 2015

शिशु के लिए माता का दूध क्यों सर्वोत्तम है ?


                                शिशु के लिए माँ का दूध ही सर्वोत्तम है क्योंकि इसमें बच्चे की वृद्धि एवं विकास के लिए सभी पोषक तत्व होते हैं। पोषक तत्वों के अतिरिक्त माँ के दूध से शिशु को रक्षात्मक प्रोटीन मिलती है जिन्हें प्रतिरक्षी कहते हैं इससे शिशु को रोगों से लड़ने के लिए आवश्यक शक्ति प्राप्त होती है।

Friday, April 3, 2015

नाखून काटने पर हमें दर्द क्यों नहीं होता है ?


                     नाखून में किसी प्रकार की तंत्रिकाएं नहीं होती है। इसलिए इन्हें काटने पर कोई दर्द नहीं होता है।

Sunday, March 29, 2015

पीलिया रोग (Jaundice) क्यों उत्पन्न होता है ?


                                  पित्ताशय से पित्तवाहिनी में पित्त का मार्ग अवरुद्ध हो जाने पर यकृत कोशाएं रक्त से बाइलीरुबिन (Bilirubin) पित्त रंग को ग्रहण करना बंद कर देती है। अत: पीला पित्त रंग बाइलीरुबिन रक्त में ही रहकर पूरे शरीर में फैल जाता है। जिससे त्वचा एवं आँखों का रंग पीला पड़ जाता है और मूत्र पीला-हरा सा एवं मल भूरा हो जाता है। इसी को पीलिया रोग ( Jaundice) कहते हैं।

Wednesday, March 25, 2015

जब सोडा वाटर की बोतल को खोलते हैं, तो तेजी से झाग क्यों उत्पन्न होते हैं ?


             सोडा वाटर की बोतल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस उच्च दाब पर भरी रहती है। जब बोतल की कार्क को खोलते हैं, तो दाब कम हो जाता है जिससे जल में घुली कार्बन डाइऑक्साइड तेजी से बुलबुले के रूप में बाहर निकलती है इसी कारण झाग उत्पन्न होते हैं।

Wednesday, March 18, 2015

पीपल की नयी पत्तियां लाल-भूरी जबकि परिपक्व पत्तियां हरी क्यों दिखाई देती हैं ?


                                पीपल के पेड़ की नयी पत्तियां लाल-भूरी दिखाई देती हैं क्योंकि इनमें फायकोजैंथिन तथा फायकोइरिथिन वर्णक होते हैं। लेकिन परिपक्व होने पर यह वर्णक क्लोरोफिल 'ए' तथा क्लोरोफिल 'बी' में बदल जाते हैं। प्रकाश की उपस्थिति में यह परिपक्व पत्तियां हरी दिखाई देती हैं।

Monday, March 16, 2015

क्लोनिंग क्या है ?


                                     'क्लोन' एक जीव (रचना) है जो गैर-यौनिक विधि द्वारा एकल पैरेंट (माता-पिता में से कोई एक) में व्युत्पन्न होता है। क्लोन शारीरिक रूप से नहीं, वरन आनुवांशिक गुणों में भी अपनी मां (या पिता) के समरूप होता है। वास्तव में एक क्लोन अपनी मां का प्रतिरूप होता है जबकि इसके विपरीत सामान्य यौगिक प्रजनन के द्वारा पैदा हुए बच्चे में मां व पिता दोनों के आनुवांशिक गुण समाहित होते हैं।
                                   जिस विधि या तकनीक द्वारा ' क्लोन' पैदा होता है, उसे 'क्लोनिंग तकनीक' कहा जाता है। परम्परागत रूप से क्लोनिंग तकनीक कृषि और बागवानी विशेषज्ञों में काफी प्रचलित रही है। वैसे भी 'क्लोन' शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ 'टहनी' (Twig) होता है।


Friday, March 6, 2015

फोड़ा-फुंसी होने पर बगल में या जांघ के पास गिल्टियाँ क्यों निकल आती हैं ?


                             फोड़ा-फुंसी होने पर जांघ के पास निकली गिल्टियाँ वास्तव में फूली हुई लसिका ग्रन्थियां (Lymph glands) होती हैं जो हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए श्वेत रुधिर कणिकाओं का अधिक संख्या में निर्माण तथा एकत्रित करने हेतु फूलकर बड़ी हो जाती हैं।

चींटी के काटने पर तेज जलन क्यों होती है ?


                                लाल चींटी, बर्र के डंक आदि में फार्मिक अम्ल होता है। चींटी इस फ़ॉर्मिक अम्ल को त्वचा में प्रवेश करा देती है जिससे तेज जलन होती है।

Thursday, February 26, 2015

क्या हीरा जहरीला होता है और इसे खाने से मृत्यु हो जाती है ?


                                   हीरा जहरीला नहीं होता है, और इसे चाटने से मृत्यु नहीं होती है लेकिन यदि हीरे को निगल लिया जाए तो मौत हो जाती है। इसका कारण यह है कि हीरे में अनेक Face या फलक होते हैं। और चूंकि हीरा सबसे अधिक कठोर वस्तु होता है इस कारण से इसके फलक हमारे आहार नाल को काटते हुए आगे बढ़ते हैं ज्यों-ज्यों हीरा आहार नाल में आगे बढ़ता है हीरा आहार नाल को काटते जाता है। आहार नाल के कट जाने के कारण Internal Bleeding आंतरिक रक्तस्राव होने लगती है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

Sunday, February 22, 2015

तेज धूप में खड़े रहने के बाद जब हम कमरे में जाते हैं तो हमें कुछ दिखाई क्यों नहीं देता है ?


                          तेज धूप में या अधिक प्रकाश में हमारी आँख की पुतली का आयरिश पेशियों (Muscles) के द्वारा व्यास कम हो जाता है। जिससे बहुत अधिक तेज प्रकाश आँख में प्रवेश न कर सके (कैमरे में यही कार्य शटर द्वारा किया जाता है) जब हम तेज धूप में खड़े रहने के पश्चात कमरे में जाते हैं, तो पुतली (Pupil) के फैलने से पुन: अधिक प्रकाश आँख में जा सकता है, किंतु पुतली के फैलने एवं सिकुड़ने में कुछ समय लगता है। अत: तेज धूप से कमरे में जाने पर कुछ समय तक बहुत कम प्रकाश आँख में पहुंच पाने के कारण कुछ दिखाई नहीं देता है।

Saturday, February 21, 2015

हमारे हाथों में उभरी हुई नसें जिनमें खून बहता है। वे बाहर से नीली या हरी क्यों दिखाई देती हैं ?


                               रक्त में हिमोग्लोबिन नामक लाल पदार्थ होता है। इसकी विशेषता यह है कि कार्बन डाइऑक्साइड एवं ऑक्सीजन दोनों के साथ प्रति वतर्यता (Reversibly) से जुड़ सकता है। हिमोग्लोबिन जब शरीर के ऊतकों से कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करता है, वह कार्बोक्सी हिमोग्लोबिन कहलाता है। कार्बोक्सी हिमोग्लोबिन वाला रक्त अशुद्ध होता है जो शिराओं से होकर फेफड़ों में श्वांस लेने की प्रक्रिया में हीमोग्लोबिन कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़कर शुद्ध ऑक्सीजन ग्रहण करता है। यह शुद्ध रक्त धमनियों द्वारा कोशिकाओं तक पहुंचता है। अशुद्ध रक्त का रंग नील लोहित या बैंगनी होता है। शिराओं की भित्तियां पतली होती हैं और ये त्वचा के ठीक नीचे होती हैं। इसीलिए ऊपर से शिराओं को देखना आसान होता है। अशुद्ध नील लोहित रंग के रक्त के कारण शिराएं हमें नीले रंग की दिखाई देती हैं। शिराओं की तुलना में धमनियों की भित्ति अधिक मोटी होती है और काफी गहराई में स्थित होती है। इस कारण लाल रक्त प्रवाहित होने वाली धमनी हमें दिखाई नहीं देती है।

Wednesday, February 4, 2015

टाईफाइड क्यों होता है ?

               
                             टाइफाइड एक तरह के जीवाणु से फैलता है। आयुर्विज्ञान की भाषा में इसे बैसिलस सेलमोनेला टायफोसा कहा जाता है। यह एक भयानक संक्रामक रोग है। बहुत पहले हजारों लोग इस महामारी से काल कलवित हो जाते थे, लेकिन अब चिकित्सा विज्ञान के विकास से इस पर काबू पा लिया गया है।
                             यह गंदे भोजन या गंदे पानी के साथ शरीर में प्रवेश करके खून तक पहुंच जाता है। यह खून को प्रभावित करके पूरी रक्त व्यवस्था को दूषित कर देता है। इस बीमारी में बुखार, खांसी, खाल का उधड़ना, तिल्ली का बढ़ जाना और श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी हो जाना आदि होता है। इस बीमारी में भूख भी कम लगती है और लगातार बुखार रहता है।
                               टाइफाइड के जीवाणु पकने से पहले भोजन सामग्री में भी वाहक द्वारा पंहुच सकते हैं। मक्खियां भी इन जीवाणुओं को इधर से उधर पहुंचाती हैं। टाइफाइड की बीमारी ठीक हो जाने के बाद भी शरीर में ये जीवाणु बचे रह जाते हैं। टाइफाइड की जांच के लिए विडेल टेस्ट किया जाता है। इसमें खून की जांच की जाती है।

Sunday, January 11, 2015

कई तारे बड़े होने पर भी सूर्य से बहुत छोटे क्यों दिखाई देते हैं ?


                                     दूसरे तारों के मुकाबले सूर्य बड़ा तथा चमकीला इसलिए दिखाई देता है, क्योंकि यह दूसरे तारों की अपेक्षा करीब है। इसके विपरीत अनेक तारे सूर्य से कई गुना बड़े होते हुए भी हमें छोटे तथा कम चमकीले दिखाई देते हैं, क्योंकि वे सूर्य की अपेक्षा पृथ्वी से बहुत दूर स्थित हैं।

Friday, January 9, 2015

पृथ्वी की आयु कितनी है इसे किस आधार पर तय किया गया है ?


पृथ्वी की आयु का अनुमान कई विधियों द्वारा तय किया गया है।
1. लवणता के आधार पर पृथ्वी की आयु 9 से 10 करोड़ वर्ष है।
2. शैल स्तरों की मोटाई के आधार पर पृथ्वी की आयु 51 करोड़ वर्ष है।
3. पृथ्वी के ठंडी होने की दर के आधार पर 10 करोड़ वर्ष है।
4. विकासीय प्रक्रम के आधार पर पृथ्वी की आयु 100 करोड़ वर्ष है।
5. रेडियो एक्टिव विधि द्वारा पृथ्वी की आयु 450 करोड़ वर्ष पुरानी है, जो वास्तविक है।

Thursday, January 8, 2015

माइक्रोवेव ओवन क्यों कहा जाता है ?


उत्तर - माइक्रोवेव ओवन प्रयोग करने हेतु धातु के बॉक्स में खाने का सामान रखा जाता है और उसका ढक्कन बंद कर एक स्विच दबा दिया जाता है। स्विच दबते ही बॉक्स के अंदर ऊर्जा की अदृश्य किरणें भोज्य सामग्री पर तेजी से गिरना शुरू हो जाती है। इसमें जिन किरणों के द्वारा भोजन को गर्म किया या पकाया जाता है, उनको माइक्रोवेव कहते हैं और इसीलिए इसको माइक्रोवेव ओवन नाम दिया गया है।