Tuesday, May 26, 2015

तारों की आभासी गति का क्या कारण है ?


                              यदि हम आसमान में तारों को अधिक समय तक देखें तो हम पाते हैं कि तारे पूर्व में उदय होकर वृत्तीय पथ पर चलते हुए पश्चिम में अस्त हो जाते हैं जबकि वास्तव में वे आकाश में स्थिर होते हैं। इस गति में उनकी सापेक्षिक स्थितियां नहीं बदलती है। इससे ऐसा लगता है कि तारे पृथ्वी के परित: परिक्रमा कर रहे हैं अथवा खगोलीय गोला पृथ्वी के परित: घूर्णन कर रहा है। आसमान में पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हुए प्रतीत होते हैं। ध्रुव तारा पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के सीधे ऊपर स्थित होता है, अत: यह पृथ्वी की घूर्णन अक्ष की सीध में होता है जिसके कारण वह आसमान में स्थिर दिखाई देता है।

Wednesday, May 13, 2015

पेट के रोगी का एक्स-रे चित्र लेने से पहले उसे बेरियम सल्फेट का घोल क्यों पिलाया जाता है ?


                    असल में एक्स-रे किरणें शरीर के उन्हीं भागों को दर्शाती हैं जिनमें से होकर वे गुजर नहीं सकती। जैसे कि हड्डियाँ। अत: किसी रोगी की आँतों से संबंधित कोई रोग हो जैसे अल्सर,हर्निया या फिर ट्यूमर तो साधारण एक्स-रे मात्र से ये सब धुंधली नजर आएगी। इस तरह के धुंधलेपन को दूर करने के लिए रोगी की एक्स-रे से पहले बेरियम युक्त आहार दिया जाता है। बेरियम आहार में बेरियम सल्फेट की सफेद चाक जैसे पदार्थ की एक खुराक होती है। जो एक्स-रे को रोकने का सामर्थ्य रखती है। इस तरह से यह बेरियम सल्फेट डाक्टरों को आहार नलिका का सही व सूक्ष्म निरिक्षण करने में मददगार सिद्ध होती है।

Saturday, May 2, 2015

पृथ्वी का निर्माण किस प्रकार हुआ ?


                                पृथ्वी उत्पत्ति ग्रहाणुओं के एक ठंडे समूह से हुई। ये ग्रहाणुओं आंतरिक ग्रहों के क्षेत्र में मुख्यत: सिलिकन, लोहा, मैग्नीशियम के यौगिकों के साथ सूक्ष्म मात्रा में अन्य तत्वों के मिलने से बने थे। जैसे-जैसे और अधिक ग्रहाणु पृथ्वी से टकराते गये वैसे-वैसे वे इससे जुड़ते गये। इन ग्रहाणुओं की गतिज ऊर्जा टक्करों के कारण उष्मीय ऊर्जा में बदलती गई। इससे इसका ताप भी बढ़ता गया। इसके अतिरिक्त पृथ्वी के संपीडन एवं रेडियोएक्टिव विघटन के कारण यह ग्रह और गर्म होता रहा तथा अपनी उत्पत्ति के लगभग 80 करोड़ वर्ष बाद पिघल गया। इस ग्रह ने गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव की सहायता से सहायता से स्वयं को व्यवस्थित करना प्रारंभ कर दिया। लोहा पिघलकर इसके केंद्र की ओर गिरने लगा तथा हल्के पदार्थ पृथ्वी के सतह पर आ गये। इससे भूपर्पटी का निर्माण हुआ। गुरुत्वाकर्षण के कारण केंद्र में पहुंचे लोहे से क्रोड का निर्माण हुआ। बीच का भाग प्रवार बना। विभेदन के फलस्वरूप वायुमंडल, सागर, महासागरों तथा  महाद्वीपों का निर्माण हुआ। इस प्रकार पृथ्वी की उत्पत्ति हुई।