Sunday, October 25, 2015

शरीर में किसी स्थान की हड्डी टूट जाने पर उसके ऊपर प्लास्टर चढ़ा दिया जाता है। इस ऊपर लगे प्लास्टर से शरीर के भीतर स्थित हड्डी कैसे जुड़ जाती है ?




                             उत्तर- किसी स्थान की हड्डी टूट जाने पर प्लास्टर चढ़ाकर उस भाग को कस दिया जाता है। प्लास्टर चढ़ाने का उद्देश्य सिर्फ इतना ही होता है कि हड्डी टूटा वाला अंग कसकर बंध जाये ताकि हड्डी अपने स्थान से हटे नहीं। चोट लगने पर प्लास्टर बांधने से हड्डियां जुड़ती हों ऐसा नहीं है। टूटी हड्डियां प्राय: अपने स्थान से हट जाती है। हड्डी रोग विशेषज्ञ उन्हें सही स्थान में ला देता है क्योंकि जुड़ने से पहले उन्हें सही स्थिति में रखना आवश्यक होता है। प्लास्टर से टूटे भाग की अस्थियां सही अवस्था में बनी रहती हैं। अस्थियां मुख्यत: कैल्शियम की बनी होती हैं तथा कैल्शियम ही उनके जुड़ने में मदद करता है।

Monday, October 12, 2015

बुजुर्ग लोगों की त्वचा पर झुर्रियां क्यों पड़ जाती हैं ?


                    उत्तर - त्वचा को यदि दो उंगलियों से हल्का सा दबाया जाए और फिर छोड़ दिया जाय तो यह अपनी पूर्वावस्था में आ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि त्वचा के डर्मिस स्तर में प्रोटीन होती है जो इलास्टिक की तरह खींच सकती है। व्यक्ति जैसे-जैसे बुजुर्ग होता है, उनकी त्वचा, प्रोटीन में बदलाव व कमी के कारण कम नम्य (इलास्टिक) होती जाती है अत: त्वचा में झुर्रियां पड़ जाती है।

Saturday, October 10, 2015

किसी निश्चित ताप की गर्म हवा मानव शरीर को जला नहीं पाती है, लेकिन उसी ताप का पानी मनुष्य के शरीर को जला क्यों देता है ?


                                    उत्तर - पानी की अपेक्षा हवा की विशिष्ट ऊष्मा बहुत कम होती है। अत: किसी निश्चित ताप पर हवा के किसी द्रव्यमान में ऊष्मा की मात्रा, उसी ताप पर उसी द्रव्यमान के पानी में ऊष्मा की मात्रा से अधिक होती है। जब मनुष्य इस गर्म हवा के संपर्क में आता है, तब उसके शरीर को उतनी ऊष्मा नहीं मिल पाती है, जिससे कि उसका शरीर जल जाए। दूसरी ओर, उसी ताप के जल के संपर्क में आने पर, उसे अपेक्षाकृत अधिक ऊष्मा मिलती है और शरीर जल जाता है।

वायुमंडल में ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन आदि बहुत सी गैसें हैं, लेकिन हम इनमें से ऑक्सीजन किस तरह से ग्रहण कर लेते हैं ?



                 उत्तर - वायुमंडल में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि बहुत सारी गैसें होती है। जब हम अपने फेफड़ों के द्वारा सांस लेते हैं तो वायुमंडल में उपस्थित गैसें हमारे फेफड़ों में भर जाती है। इसी समय फेफड़ों की रक्त-नलिकाओं में उपस्थित हिमोग्लोबिन फेफड़ों में उपस्थित ऑक्सीजन से क्रिया करके ऑक्सी हीमोग्लोबिन (oxi-heamoglobin) का निर्माण करती है जो अशुद्ध रक्त को शुद्ध रक्त में परिवर्तित करती है।
फेफड़ों में उपस्थित अन्य गैसें बाहर निकाल दी जाती हैं। इस प्रकार वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि गैसों में से केवल ऑक्सीजन ही ग्रहण करते हैं।