Tuesday, August 4, 2015

रेगिस्तान में कुछ दूरी पर जल होने का भ्रम क्यों होता है ?


                               रेगिस्तान में जल होने का भ्रम पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण होता है। जब सूर्य की गर्मी से रेगिस्तान की रेत गर्म होती है तो उसके संपर्क में आने वाली वायु भी गर्म हो जाती है, परंतु इस वायु के ऊपर का तापमान क्रमश: कम होता जाता है। अत: वायु के नीचे की परतें अपेक्षाकृत विरल होती हैं और जब प्रकाश की किरणें पृथ्वी की ओर आती है तो इन्हें विरल परतों से होकर गुजरना पड़ता है, और प्रत्येक परत पर अपवर्तित किरण अभिलम्ब से दूर हटती जाती है। अत: प्रत्येक अगली परत पर आपतन कोण बढ़ता जाता है तथा किसी विशेष परत पर क्रांतिक कोण से बड़ा हो जाता है। तब इस परत पर किरण पूर्ण परावर्तित होकर ऊपर की ओर चलने लगती है। ऊपरी परतों के सघन होने के कारण ऊपर बढ़ने वाली किरणें अभिलम्ब की ओर झुकती जाती हैं। जब यह                                  रेगिस्तान के यात्री की आँख में प्रवेश करती है, तो उसे पृथ्वी के नीचे से आती हुई प्रतीत होती है तथा यात्री को पेड़ का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखायी देता है। इसी से रेगिस्तान में जल होने का भ्रम हो जाता है।

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