Monday, December 28, 2015

भोजन करते समय बोलना क्यों नहीं चाहिए ?


                            उत्तर - भोजन करने के दौरान चबाया हुआ लार में सना भोजन, निवालों के रूप में ग्लाटिस से होते हुए ग्रासनली में पहुंचता है। निवाला निगलते समय अनैच्छिक और प्रतिवर्ती क्रिया के अंतर्गत एपी-ग्लाटिस ग्लाटिस से सट जाता है। परिणामस्वरूप श्वासनली बंद हो जाती है और ग्लाटिस फैलकर निवाले को ग्रासनली में जाने का मार्ग दे देता है। भोजन करते समय बोलने से श्वांस नली में भोजन के कण फंस सकते हैं। इन कणों के द्वारा श्वासनली में उद्दीपन होते ही प्रतिवर्ती क्रिया के अंतर्गत खांसी होने लगती है। भोजन का बड़ा टुकड़ा फंस जाने पर दम भी घुट सकता है।

Monday, December 14, 2015

कपूर हवा के संपर्क में आने पर उड़ क्यों जाता है ?


उत्तर - कपूर हवा के संपर्क में आने पर इसलिए उड़ जाता है , क्योंकि कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो द्रव में बिना बदले सीधे ही गैस में बदल जाते हैं इस घटना को उर्ध्वपातन कहते हैं। इसका कारण वाष्प दाब है। वाष्प दाब बढ़ने के कारण ही कपूर के अणुओं की गतिज उर्जा बढ़ जाती है और ठोस बिना द्रव में बदले सीधे वाष्प में बदल जाते हैं। जैसे - नेफ्थेलिन।

Wednesday, December 2, 2015

ट्रांसफार्मर से बिजली कम या ज्यादा कैसे होती है ?



                         उत्तर - ट्रांसफार्मर एक ऐसा विद्युत उपकरण है, जो ए सी विद्युत- विभवांतर को कम या अधिक करने के काम आता है। यह विद्युत्-चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। ट्रांसफार्मर में लोहे की पत्तियों से बनी हुई एक कोर होती है। इस कोर पर तांबे या एल्युमिनियम के तारों की दो कुंडलियां लपेटी जाती हैं। जिस कुंडली में विद्युतधारा भेजी जाती है, उसे प्राइमरी कॉइल कहते हैं और जिस कुंडली को विद्युत उपकरण के साथ जोड़ा जाता है, उसे सेकेंडरी कॉइल कहते हैं।
                           दोनों कुंडलियां में तारों के लपेटनों की संख्या अलग-अलग होती है। जिस ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी कॉइल में लपेटनों की संख्या प्राइमरी कॉइल की अपेक्षा अधिक होती है, वह विद्युत विभवांतर को अधिक कर देता है। ऐसे ट्रांसफार्मर को स्टेप अप ट्रांसफार्मर कहते हैं। वहीं जिस ट्रांसफार्मर में सेकेंडरी कॉइल में लपेटनों की संख्या प्राइमरी कॉइल से कम होती है, वह विद्युत विभवांतर को कम कर देता है। इसे स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कहते हैं। सेकेंडरी और प्राइमरी में तारों की लपेटनों की संख्या का जो अनुपात होगा, विद्युत विभवांतर भी उसी अनुपात में कम या ज्यादा होगा। एक ही ट्रांसफार्मर स्टेप अप और स्टेप डाउन दोनों प्रकार के कार्यों को करने की क्षमता वाला बनाया जा सकता है।